" अनेकता में एकता" lखुद गर्जीयो ने देश में, साजिश के जाल बुनकर. कर दिया इतिहास धूमिल ,हिंदुओं का चुनकर.. जो पाठ्यपुस्तक में पढ़ाया, झूठ मिश्रित सच , रख दिया करके उजागर, जुल्म कितने आज तक, सरदार था जिसकी बदौलत देश बांधा एकता.. कर पुष्प अर्पित उनको तुम,अपनी दिखा दो नेक ता .. गर्व हर्षित पर्व यह कुछ ऋण चुका लो देश का कैसे रहते हैं इकट्ठे," अनेकता में एकता " अनेकता में एकता