अभी तक जितने भी पत्र अभिव्यक्ति के रूप में आए हैं, उन्हें पढ़ने के बाद मन ने मंथन, चिंतन, मनन किया तो ये प्रश्न ने सिर उठाया है
क्या ये कोई प्रतियोगिता है?
अन्तर्मन मन के इस तथ्य को मानने को राज़ी नहीं है
कि सच में कोई प्रतियोगिता ही है
अन्तर्मन की ध्वनि से जो स्वर स्फुटित हुए हैं
वो कह रहे हैं.... ये एक मध्यम है... जिसने
ढेर सारे में की गिरह खोल दी है
उसमे हुए भावनाओं के विस्फोट से