पुर्तुज़े ख़ाक भी हो जाऊंगा एक रोज़ मैं। मगर तब भी तेरी तरह यूँ हवा में उढुंगा नहीं।। ARZ-ए-SAYED पुर्तुज़े ख़ाक भी हो जाऊंगा एक रोज़ मैं। मगर तब भी तेरी तरह यूँ हवा में उढुंगा नहीं।। ARZ-ए-SAYED