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दृश्य देख ह्रदय भयभीत है, क्या यही हमारी जीत है। ल

दृश्य देख ह्रदय भयभीत है,
क्या यही हमारी जीत है।
लाशों के ढेर  और धधकती आग है
देखो जल रहे सामने हमारे कई घरों के चिराग हैं
सत्ताओं का लालच कुछ इस तरह छाया है,
देखो राजा ने प्रजा को ,कैसे तड़पाया है।
करदो मजबूर इतना की सांस के लिए तड़पें,
भुखमरी,बेरोजगारी के लिए धरना ना दे पाएं लड़के।
ए मालिक देखो कैसी विपदा  छाई है,
आज एक बेटी बाप की चिता जलाकर आई है।
आज सुबह से मन जा रहा है बैठा,
अपनी जान दांव पर लगा कर ,
पति को अपने,खुद से सांस देती ,
एक महिला की तस्वीर को ,जब से है देखा।
सुनो पार्थ अब भी वक्त है संभल जाओ,
अपनी सांसों के लिए ,ईश्वर का शुक्र जताओ।
आप ही पूंजी हो अपने परिवार की,
इस लिए प्रार्थना है, ताला रूपी मास्क लगाओ
जब भी हवा खाने जाओ घर से बाहर की।
...#जलज कुमार
#श्रीहनुमान जयंती की शुभकामनाएं

©JALAJ KUMAR RATHOUR दृश्य देख ह्रदय भयभीत है,
क्या यही हमारी जीत है।
लाशों के ढेर  और धधकती आग है
देखो जल रहे सामने हमारे कई घरों के चिराग हैं
सत्ताओं का लालच कुछ इस तरह छाया है,
देखो राजा ने प्रजा को ,कैसे तड़पाया है।
करदो मजबूर इतना की सांस के लिए तड़पें,
भुखमरी,बेरोजगारी के लिए धरना ना दे पाएं लड़के।
दृश्य देख ह्रदय भयभीत है,
क्या यही हमारी जीत है।
लाशों के ढेर  और धधकती आग है
देखो जल रहे सामने हमारे कई घरों के चिराग हैं
सत्ताओं का लालच कुछ इस तरह छाया है,
देखो राजा ने प्रजा को ,कैसे तड़पाया है।
करदो मजबूर इतना की सांस के लिए तड़पें,
भुखमरी,बेरोजगारी के लिए धरना ना दे पाएं लड़के।
ए मालिक देखो कैसी विपदा  छाई है,
आज एक बेटी बाप की चिता जलाकर आई है।
आज सुबह से मन जा रहा है बैठा,
अपनी जान दांव पर लगा कर ,
पति को अपने,खुद से सांस देती ,
एक महिला की तस्वीर को ,जब से है देखा।
सुनो पार्थ अब भी वक्त है संभल जाओ,
अपनी सांसों के लिए ,ईश्वर का शुक्र जताओ।
आप ही पूंजी हो अपने परिवार की,
इस लिए प्रार्थना है, ताला रूपी मास्क लगाओ
जब भी हवा खाने जाओ घर से बाहर की।
...#जलज कुमार
#श्रीहनुमान जयंती की शुभकामनाएं

©JALAJ KUMAR RATHOUR दृश्य देख ह्रदय भयभीत है,
क्या यही हमारी जीत है।
लाशों के ढेर  और धधकती आग है
देखो जल रहे सामने हमारे कई घरों के चिराग हैं
सत्ताओं का लालच कुछ इस तरह छाया है,
देखो राजा ने प्रजा को ,कैसे तड़पाया है।
करदो मजबूर इतना की सांस के लिए तड़पें,
भुखमरी,बेरोजगारी के लिए धरना ना दे पाएं लड़के।

दृश्य देख ह्रदय भयभीत है, क्या यही हमारी जीत है। लाशों के ढेर और धधकती आग है देखो जल रहे सामने हमारे कई घरों के चिराग हैं सत्ताओं का लालच कुछ इस तरह छाया है, देखो राजा ने प्रजा को ,कैसे तड़पाया है। करदो मजबूर इतना की सांस के लिए तड़पें, भुखमरी,बेरोजगारी के लिए धरना ना दे पाएं लड़के। #जलज #श्रीहनुमान