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लिख दिया है अहल-ए-दिल हमने क़िर्तास पर तुमसे मिलने

लिख दिया है अहल-ए-दिल हमने क़िर्तास पर
तुमसे मिलने की ख्वाहिश मगर बाकी ही रही

मोड़ कर एक कोना नाम तेरा लिखा है वहाँ
रंगीन हो गया वो कोना स्याही अश्क़ में बही

गहराइयों में दिल की तुम धड़कन बनकर रहती हो
तुम बिन ये ज़िंदगी होगी कभी मुक़्क़मल नहीं

(शेष अनुशीर्षक में) तन्हाइयों की महफ़िलों में हम भी बदनाम है
आशिक़ों की जुबान से नाम ये हटता है नहीं

लिखते है खत तुमको पर भेजते नहीं कभी
बदल गया पता तुम्हारा जहाँ डाकिया नहीं

सिरहाने पर सूखा गुलाब है गवाही इश्क़ की
पर यहाँ इंसाफ़ की कोई गुंजाइश रही नहीं
लिख दिया है अहल-ए-दिल हमने क़िर्तास पर
तुमसे मिलने की ख्वाहिश मगर बाकी ही रही

मोड़ कर एक कोना नाम तेरा लिखा है वहाँ
रंगीन हो गया वो कोना स्याही अश्क़ में बही

गहराइयों में दिल की तुम धड़कन बनकर रहती हो
तुम बिन ये ज़िंदगी होगी कभी मुक़्क़मल नहीं

(शेष अनुशीर्षक में) तन्हाइयों की महफ़िलों में हम भी बदनाम है
आशिक़ों की जुबान से नाम ये हटता है नहीं

लिखते है खत तुमको पर भेजते नहीं कभी
बदल गया पता तुम्हारा जहाँ डाकिया नहीं

सिरहाने पर सूखा गुलाब है गवाही इश्क़ की
पर यहाँ इंसाफ़ की कोई गुंजाइश रही नहीं
akankshagupta7952

Vedantika

New Creator

तन्हाइयों की महफ़िलों में हम भी बदनाम है आशिक़ों की जुबान से नाम ये हटता है नहीं लिखते है खत तुमको पर भेजते नहीं कभी बदल गया पता तुम्हारा जहाँ डाकिया नहीं सिरहाने पर सूखा गुलाब है गवाही इश्क़ की पर यहाँ इंसाफ़ की कोई गुंजाइश रही नहीं