कभी-कभी समझदार बनते बनते थक जाते हैं और बच्चा बनने को मन करता है कभी-कभी लगता है कि हम बड़े हो गए हमें क्या जरूरत अटेंशन की ध्यान की नजर की प्रेम की हम adjust कर लेंगे कभी-कभी लगता है कि हमारी जरूरतें इतनी जरूरी नहीं ज्यादा जरूरी बाकी चीजें हैं कभी-कभी मन अंदर से पुकारता है कि हमें भी चाहिए हम भी जीवंत हैं मगर कह भी नहीं पाते क्योंकि हम बड़े हो गए हैं हम अपनी इच्छाओं को दबा सकते हैं जीवन में बाकी चीजें ज्यादा इंपोर्टेंट है