नजरों को पढ़ लिया है हमने दिल से I करीब है हम, आज अपने मंजिल से I रोशन हुई जिंदगी, पाकर तुम्हें करीब I अंधेरे में चमकी है उसने झिलमिल से। मिलना और मिलाना, ईश्वर के दस्तूर । मिल के तर बतर हुए नयन सलिल से । शिकायत भरी लहजे तुम्हारी निकली । कैसे मुझे पाला पड़ा,तुझ बुज़दिल से । पाकर आलिंगन में साकार हुए सपने । आवेग थे ऐसे सागर मिले साहिल से । -मुरली चौधरी ©Murali Choudhary मुरली चौधरी की कविताएं