खामोशी के लब्ज बड़े गहरे होते हैं । ये वो कह जाते हैं जो लब नही कहते हैं । आँखो से कह जाती जो बाते आंखे होटों से सदियों तलक हम कह नही पाते चंदा सूरज से कहता और सूरज चंदा से वक्त क हर पन्ने पर तेरी मेरी यारी । अंतस *