प्रकृति की गोद में पल्लव की डायरी मानव आवरण की संरचना प्रकृति का सोपान है हर अंगों और सांसो का पल पल होता कदम ताल है आनंदित जीवन मे रहने का निशुल्क वरदान है हर मौसम की छटा का रसपान करे इसमें जीने का अलग अंदाज है पंचतत्व की रचना में देह बनी प्रकृति का अहसान है मत उजाड़ो लालचों में ना भरो धुँआ हवा में जहरीला ना पर्वत पेड़ो को काँटो अगर सांसो को निरंतर लेना हे तो प्रकृति की गोद मे ऑक्सीजन का अकूत भंडार है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #AdhureVakya अगर सांसो को लेना है तो प्रकृति के पास ऑक्सीजन का अकूत भंडार है #AdhureVakya