"सुबह हो गयी, शांत मन , शांत वातावरण । कितना खूबसूरत है सबकुछ। नींद से जागे नयन, ढेरो ख्वाब समेटे अब भी बैठे हुए है । कह रहें हो जैसे, आहिस्ता - आहिस्ता कदम रखना । काँच के ख़्वाब है , काँच के बिछौने से लिपटे हुए । कही टूट गए तो दर्द तुम्हे भी होगा...!!" #नींद_ख्वाब #काँचकाबिछौना #काँचकेख्वाब #प्रभात_कविता #सुचितापाण्डेय #मेरीकवितामेरादर्द #yqdidihindipoetry "सुबह हो गयी, शांत मन, शांत वातावरण। कितना खूबसूरत है सबकुछ। नींद से जागे नयन ढेरो ख्वाब समेटे अब भी बैठे हुए है। कह रहें हो जैसे, आहिस्ता-आहिस्ता कदम रखना।