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आज के दिन का वो हमला इंसानियत से उसका,कुछ भी वास्त

आज के दिन का वो हमला इंसानियत से उसका,कुछ भी वास्ता नहीं था,
वो जन्नत जाने का,कोई सीधा रास्ता नहीं था।
बेगुनाहों को मारा,न जाने कैसी वो सनक थी,
इंसानियत पे कलंक था,वो इंसानियत नहीं थी।
इंसान होकर भी,वह जालिम इंसान नहीं था,
था शैतानियत का नमूना,वो फरिश्ता नहीं था।
दिल आज भी रोता है,उस मंजर को याद करके,
बेशक मरने वालों से,मेरा कोई रिश्ता नहीं था।
धुँआ सा उठा था, जिंदगी धुँआ हुई थी,
इमारत को छोड़ो,वहाँ इंसानियत ध्वस्त हुई थी।।
                         
                           Diwan G खौफनाक मंजर
#मंजर #आतंक
आज के दिन का वो हमला इंसानियत से उसका,कुछ भी वास्ता नहीं था,
वो जन्नत जाने का,कोई सीधा रास्ता नहीं था।
बेगुनाहों को मारा,न जाने कैसी वो सनक थी,
इंसानियत पे कलंक था,वो इंसानियत नहीं थी।
इंसान होकर भी,वह जालिम इंसान नहीं था,
था शैतानियत का नमूना,वो फरिश्ता नहीं था।
दिल आज भी रोता है,उस मंजर को याद करके,
बेशक मरने वालों से,मेरा कोई रिश्ता नहीं था।
धुँआ सा उठा था, जिंदगी धुँआ हुई थी,
इमारत को छोड़ो,वहाँ इंसानियत ध्वस्त हुई थी।।
                         
                           Diwan G खौफनाक मंजर
#मंजर #आतंक
diwang9628863327834

Diwan G

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खौफनाक मंजर #मंजर #आतंक