============== *एक ख़ास ख़त* ============== चलो आज मैं अपने दिल की, कुछ बातें तुमसे करती हूँ। कैसे कहूँ, हैं इतनी सारी, सो ख़त तुमको लिख देती हूँ।। हाल-चाल सब कैसा है, मैं ये न तुमसे पूछूँगी। कभी फ़ुरसत से मिलने आओ, ये भी न लिखकर भेजूँगी।। बस कहनी हैं कुछ बातें, कि तुम संग बाँटी हैं सब रातें। फिर भी ऐसा क्यों लगता है, कि हैं अधूरी अभी मुलाक़ातें।। मूंदूँ जब भी अपनी आँखें, मैं तुमसे ही मिल जाती हूँ। रहूँ कहीं, कितनी भी भीड़ में, तुम्हें हर पल ख़ुद में पाती हूँ।। जीवन के हर जटिल प्रश्न का, उत्तर तुमसे ही पाया है। मुश्किल-से-मुश्किल राहों में भी, तुमने साथ निभाया है।। मेरे अँधेरे जीवन में, तुमने प्रकाश फैलाया है। मेरे व्यक्तित्व में जो बालपन है, उसे तुमने ही जीवंत बनाया है।। मेरे होठों की निश्छल मुस्कान में, तुमने अहम किरदार निभाया है। दूसरों का दर्द महसूस कर पाऊँ, इस क़ाबिल तुमने ही मुझे बनाया है।। मेरी रूह! तेरे होने से ही, मैंने फिर से ख़ुद को पाया है।। हाँ, ये ख़त मैंने ख़ुद से ख़ुद को ही भिजवाया है। ©Muskan Satyam #mysoul #rediscoverself #lettertomyself