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छोटी-छोटी बातों पर यूँ,लोग हमसे नाराज न होते, गर न

छोटी-छोटी बातों पर यूँ,लोग हमसे नाराज न होते,
गर न होते हम या हमारे जज़्बात अगर न होते।

न किसी को हमसे नफरत होती,
न हमको किसी से चाहत।
न आते किसी के सामने ,
न छीनते उसकी राहत,
अपनी-अपनी दुनियां में भी,
सब कितने सुख-चैन से होते।

,,गर न होते हम या हमारे जज़्बात अगर न होते।

अपनी कही बातों से हम,
इतने गुनहगार न होते।
दोषी,दुश्मन और फरेबी ये शब्द,
जब हमपर इस्तेमाल न होते।
मासूम से इस दिल पर भी,
शायद कभी इतने घाव न होते।

छोटी-छोटी बातों पर यूँ,लोग हमसे नाराज न होते,
गर न होते हम या हमारे जज़्बात अगर न होते।


 #eight
छोटी-छोटी बातों पर यूँ,लोग हमसे नाराज न होते,
गर न होते हम या हमारे जज़्बात अगर न होते।

न किसी को हमसे नफरत होती,
न हमको किसी से चाहत।
न आते किसी के सामने ,
न छीनते उसकी राहत,
अपनी-अपनी दुनियां में भी,
सब कितने सुख-चैन से होते।

,,गर न होते हम या हमारे जज़्बात अगर न होते।

अपनी कही बातों से हम,
इतने गुनहगार न होते।
दोषी,दुश्मन और फरेबी ये शब्द,
जब हमपर इस्तेमाल न होते।
मासूम से इस दिल पर भी,
शायद कभी इतने घाव न होते।

छोटी-छोटी बातों पर यूँ,लोग हमसे नाराज न होते,
गर न होते हम या हमारे जज़्बात अगर न होते।


 #eight