मौजूदा चुनाव माहौल में देश में इस प्रस्थान को काफी हवा दी जा रही है कि केंद्र सरकार निजीकरण की मुहिम के दना दन बहुत से सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रही है जो नौजवानों को रोजगार देते रहे हैं यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि अपने वादों के अनुरूप दो करोड़ रोजगार पैदा करने से उल्टा मोदी सरकार रहे बच्चे खत्म कर दिए हैं निश्चित है भारत जैसे एक आबादी बहुत मूल्य में रोजगार बड़ा मुद्रा होता है अतिथि की सरकारों को भी इसके लिए काफी भला-बुरा कहा जाता है सवाल है कि क्या रोजगार सिर्फ सरकारी नौकरियों के रूप में ही सतत घट में चलते हैं सार्वजनिक उपक्रम को भारी-भरकम फौजी देकर बचत है रखते हुए यह पैदा किया जा सकता है कि क्या सरकार काम एक कारोबारी की तरह अपने बैलेंस शीट साधना और मलिक कर्मचारी की भूमिका को कायम रखना इन सवालों का एक ठोस जवाब देश की संख्या और 1 काम का जो में उनके बढ़ते योगदान से मिला है भारत के उद्योग और व्यापार सर्वजनिक विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 10 जनवरी 2022 तक देश में स्टार्टअप कंपनी को मान्यता दी जा चुकी है यह बताते हैं कि देश के इस दौरान योनि में आने वाले की संख्या बढ़ी है जिसके बाद भारत में यूनिकॉर्न हो गई एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में करीब 22 में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में से $1 से अधिक मूल्य की कुल संख्या 100 से अधिक हो सकती है उस कंपनी को कहते हैं जिसका बाजार मूल्य करीब 74 70 करोड़ पर हो भारतीय स्टार्टअप जगत में जगह इस उत्साह का नतीजा यह कि सरकार समेत कई बड़े उद्योगपतियों ने इसमें बड़ी पूंजी का निवेश शुरू कर दिया देते हैं कि वर्ष 2021 में रिलायंस ने स्टार्टअप कंपनी में 7000 करोड रुपए का निवेश किया ©Ek villain #नई उड़ान को तैयार भारतीय स्टार्टअप #promiseday