तुम जो यूँ काटते जा रहे हो मुझे क्यूँ बेवजह मारते जा रहे हो मुझे ।। जो तुम मुझे जलते हुए देख रहे हो क्या तुम थोड़े भी नही पिघल रहे हो मैं ही तो देती हूँ ना तुम्हे वायू, पानी, खाना मेरे बिना सोचो कैसे चलेगा तुम्हारा ये जमाना तुम जो यूँ काटते जा रहे हो मुझे क्यूँ बेवजह मारते जा रहे हो मुझे ।। अच्छा क्या तुम्हे नही है पता ये जग मेरी वजह से ही है चलता जहाँ भी मै हूँ रहती वहां होती है खेती बिना मेरे तुम तो साँस भी नही ले सकते फिर तुम हो खुद पे इतना क्यूँ इतराते तुम जो यूँ काटते जा रहे हो मुझे क्यूँ बेवजह मारते जा रहे हो मुझे ।। तुम्हे अभी भी समझ क्यूँ नही आ रहा मैं ही तुम्हारे जीने का सहारा मकान बनाने के लिए जलाओ मत मुझे अरे तुम्हारे भले के लिए ही कह रही हूँ अब भी वक़्त है ज्यादा से ज्यादा लगाओ मुझे माना तुमने बहुत तरक्की कर ली है पर बिना मेरे क्या आज तक तुम्हारी कुछ चली है तुम जो यूँ काटते जा रहे हो मुझे क्यूँ बेवजह मारते जा रहे हो मुझे ।। बताओ इन जमीनों का करोगे क्या तुम इन इट के घरों का करोगे क्या तुम मेरे बिना अपना जिवन चला पाओगे क्या तुम कौन रहेगा फिर तुम्हारे इन मकानों में बिका करेंगी जब हवायें दुकानों में समय रहते संभल जाओ तुम वर्ना देख लेना एक दिन बहुत पछताओगे तुम तुम जो यूँ काटते जा रहे हो मुझे क्यूँ बेवजह मारते जा रहे हो मुझे।। #तुम_जो_यूँ