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*आदतन तुम ने कर दिये वादे  आदतन हम ने ऐतबार किया 

*आदतन तुम ने कर दिये वादे 
आदतन हम ने ऐतबार किया 

तेरी राहों में हर बार रुक कर 
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया 

अब ना माँगेंगे जिन्दगी या रब 
ये गुनाह हम ने एक बार किया!

*gulzar saheb* gulzar ki shayri .03#
*आदतन तुम ने कर दिये वादे 
आदतन हम ने ऐतबार किया 

तेरी राहों में हर बार रुक कर 
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया 

अब ना माँगेंगे जिन्दगी या रब 
ये गुनाह हम ने एक बार किया!

*gulzar saheb* gulzar ki shayri .03#
harpreetsingh9475

Preet

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