# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता। #
_____'_______&&&&&&-
माना जीवन समझौता है पर ये कभी कभी होता है।।
किया यदि समझौता हर पल तब ये कायर पन होता है।।
आदर्शों से समझौता कर लिया मान गिर जाता है। आदर्शों के दो राहे पर स्वाभिमान घिर जाता है।।
आदर्श रहित जीवन जीना ही अहंकार कहलाता है।
ऐसा जीवन स्वयम स्वयं में हो जाता है।।
आदर्शों का उच्च शिखर यदि मिलता है समझौता करना।