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जनाब दिन ही नहीं ढलता, ढल रहा हूँ मैं भी! ढल रहे

जनाब दिन ही नहीं ढलता, 
ढल रहा हूँ मैं भी!
ढल रहे हो तुम, 
और ढल रहा है वक्त भी!
न यह थमा है 
और न थमी है उम्र कभी।
पा लो जो पाना चाहते हो,
सुंदर सपने जो संजोते हो।
कोई सपना रहे न अधूरा,
हर मंसूबा कर लो पूरा।
बहुत तेज है समय की चाल, 
इसके साथ चलने को;
धारण करो उमंगों के पंख विशाल।
अब सोच विचार में समय न गंवाओ,
उठो सफलता को वरण कर, 
जग में नाम कमाओ।

©Suraj Sharma
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