जो था ही नहीं,उसको कहीं ढूंढ़ना था दरकते हुए रिश्तों में,यकीन ढूंढ़ना था गुजरते हुए लम्हों में,कहीं दिन ढल न जाए रात होने से पहले,रिश्ता कोई हसीन ढूढ़ंना था... Challenge-152 #collabwithकोराकाग़ज़ 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) "हम लिखते रहेंगे" प्रतियोगिता में भाग लेने और अपनी टीम बनाने के लिए पिन की हुई पढ़िए :) #रिश्तोंकीदीवार #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️