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बेड़िया जज्बातों के है , आज भी मेरे पांव में । हं

बेड़िया जज्बातों के है ,
आज भी मेरे पांव में ।

हंसता  हुआ चेहरा है ,
 फिर भी जी रहे हैं तनाव में।

खो जाने दो,
 नैनो के बहाव में।

दर्द बढ़ गया है,
 सीने के घाव में।

कुछ पल सो जाना दो हमे,
अपने जुल्फों के छाव में।।

©Kumar Satyajit
  #mountain जुल्फों की छांव में।

#mountain जुल्फों की छांव में। #News

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