Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये गीत जैसे शब्द सारे ह

तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये 
गीत जैसे शब्द सारे हो गये

खिल गये हैं हम तुम्हारे प्यार से
लग रहे हैं दिन सभी त्यौहार से
तुम हमें हमसे भी प्यारे हो गये
तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये

©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 इस सीने में धड़कन बनकर, धड़क रहा दिल जब से है
अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
माना कि हैं हम तो फौजी, धरम जुदा मेरा सब से है
अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
सबके किस्से कथाओं में इक, परियों की रानी रहती है पर फौजी केवल करे लड़ाई, सब यही कहानी कहती है
प्रेम छोड़ क्यों सिर्फ शहीदी, कम अपना कौशल कब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
ख्वाबो में कुछ चित्र गढ़े, कुछ अक्स उभरें बादलों में सांवरी सी हो भले मगर पड़े, डिम्पल उसके गालों में
सरल स्वभाव की मित भाषी हो, कामना ऐसी रब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तबसे है
तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये 
गीत जैसे शब्द सारे हो गये

खिल गये हैं हम तुम्हारे प्यार से
लग रहे हैं दिन सभी त्यौहार से
तुम हमें हमसे भी प्यारे हो गये
तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये

©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 इस सीने में धड़कन बनकर, धड़क रहा दिल जब से है
अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
माना कि हैं हम तो फौजी, धरम जुदा मेरा सब से है
अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
सबके किस्से कथाओं में इक, परियों की रानी रहती है पर फौजी केवल करे लड़ाई, सब यही कहानी कहती है
प्रेम छोड़ क्यों सिर्फ शहीदी, कम अपना कौशल कब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
ख्वाबो में कुछ चित्र गढ़े, कुछ अक्स उभरें बादलों में सांवरी सी हो भले मगर पड़े, डिम्पल उसके गालों में
सरल स्वभाव की मित भाषी हो, कामना ऐसी रब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तबसे है

इस सीने में धड़कन बनकर, धड़क रहा दिल जब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है माना कि हैं हम तो फौजी, धरम जुदा मेरा सब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है सबके किस्से कथाओं में इक, परियों की रानी रहती है पर फौजी केवल करे लड़ाई, सब यही कहानी कहती है प्रेम छोड़ क्यों सिर्फ शहीदी, कम अपना कौशल कब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है ख्वाबो में कुछ चित्र गढ़े, कुछ अक्स उभरें बादलों में सांवरी सी हो भले मगर पड़े, डिम्पल उसके गालों में सरल स्वभाव की मित भाषी हो, कामना ऐसी रब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तबसे है