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गुस्से में इंशा ना जाने क्या क्या बोल जाते है सुनक

गुस्से में इंशा ना जाने क्या क्या बोल जाते है
सुनकर आसमानों के भी खून खौल जाते हैं
कभी हम व्याकुल , तो कभी प्रतिकूल जाते है
आखिर वक़्त के  साथ भूल जाते है ।

वक़्त है सबसे बड़ा मरहम
वक़्त वो बहती हुई गंगा
जिसमे सारे पाप धुल जाते हैं 
आखिर वक़्त के  साथ भूल जाते है।
 
जो बात छलनी करती रही सालो साल
वक़्त के खारे पानी में सब घुल जाते हैं
बूरे वक़्त में फिर सारे कबूले जाते है
दिलो के सारे राज खोले जाते हैं
आखिर वक़्त के  साथ भूले जाते है ।।

(खाइयों के दोनों ओर चट्टानें थी जहा कभी
जोड़ने को, आज वही से पुल जाते है) bhul jate
गुस्से में इंशा ना जाने क्या क्या बोल जाते है
सुनकर आसमानों के भी खून खौल जाते हैं
कभी हम व्याकुल , तो कभी प्रतिकूल जाते है
आखिर वक़्त के  साथ भूल जाते है ।

वक़्त है सबसे बड़ा मरहम
वक़्त वो बहती हुई गंगा
जिसमे सारे पाप धुल जाते हैं 
आखिर वक़्त के  साथ भूल जाते है।
 
जो बात छलनी करती रही सालो साल
वक़्त के खारे पानी में सब घुल जाते हैं
बूरे वक़्त में फिर सारे कबूले जाते है
दिलो के सारे राज खोले जाते हैं
आखिर वक़्त के  साथ भूले जाते है ।।

(खाइयों के दोनों ओर चट्टानें थी जहा कभी
जोड़ने को, आज वही से पुल जाते है) bhul jate