मुझे दूर करने से क्या मिलेगा तुम्हें...... सुकूँ की नींद तो तुमको भी नहीं आएगी मुझको क्या मालूम नहीं जो मुझसे तुम समझा पाओगे शब्दों की परिधी में रहकर सच को कहां छुपा पाओगे मैं ठहरा एक सहज अनाड़ी बातों की विकृत रेखाएं मेरे शब्द शब्द केवल सच ही बोले सच ही दिखलाएं गर मेरे जाने भर से मुझसे भी ज्यादा कुछ पाओगे