प्रेम के रंग से, खेलूं होली। एक दूजे की, बन हमजोली।। नीला पीला, रंग ना भाए। रंग प्रीत का, चढ़ता जाये।। ये रंग मुझको, बड़ा सताए। पक्का ऐसा, उतर ना पाए।। हां देखे करके, लाख जतन। हां प्रेम की जब, लागी लग्न।। राधा ने थी,प्रीत निभाई। धुन मुरली की, मन को भाई।। बन जोगन,प्रीत निभाई थी। मीरा ने लगन, लगाई थी रंग प्रीत का,मन को भाता। छूटे से भी, छूट न पाता।। संगीता वर्मा ✍️✍️ ©Sangeeta Verma #lovepoetry❤️ #poem✍🧡🧡💛 #post #thought💕 #positive #mypoetrymysouls #Holi