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इरादे के पक्के कभी हारकर ,नहीं लौटते ;हमेशा जीतकर

इरादे के पक्के

कभी हारकर ,नहीं लौटते ;हमेशा जीतकर ;आते हैं

उम्मीद और कोशिश से जो , अपना दिल ; लगाते हैं

कर  लेते  हैं  , हर  संकट  को , हँसते - हँसते ; पार

साथ वालों को भी जीवन में आगे बढ़ना सिखाते हैं

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद इरादे के पक्के...... कीर्तिप्रद
इरादे के पक्के

कभी हारकर ,नहीं लौटते ;हमेशा जीतकर ;आते हैं

उम्मीद और कोशिश से जो , अपना दिल ; लगाते हैं

कर  लेते  हैं  , हर  संकट  को , हँसते - हँसते ; पार

साथ वालों को भी जीवन में आगे बढ़ना सिखाते हैं

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद इरादे के पक्के...... कीर्तिप्रद

इरादे के पक्के...... कीर्तिप्रद