..... बेपनाह नवाजा हुक्म-ए-वक़्त ने नजराना हमें कभी जीत कर बाजी वो गरीब हुये कभी हार कर वजूद हम अमीर बने । बेहिसाब था वो दौर-ए-खिदमत का वफा में मेरी कभी वो इस दिल की हर दौलत हुये