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हिंदी कविता : अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं ले

हिंदी कविता : अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
लेखक : संतोष राठौर रजिस्टर क्रमांक 32895
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद मे तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 

आॅखो मे चुभते हैं काटो से, पल जो साथ सवारे थे
याद होगे तुम्हे भी वो लम्हे, जो मिलकर साथ गुजारे थे
मेरे दिल के आगन मे, अब गम के अंगारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 

कैसे तोड दू वो कसम, जो तुमने दिलाई थी
पेड पर दिल बनाकर, जो तुमने खिलाई थी
जख्म बन गये हैं वो पल जो सवारे है
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद मे तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 

जला आशिया मेरा, तूने अपनी महफिल सजाई हैं 
मेरी दुनिया उजाड के, तूने अपनी दुनिया बसाई हैं 
तू भूल गई, प्यार मे तेरे मैने , अपने दोनो जहा वारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
-संतोष

©Mission for Passion to change to INDIA अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं ...
- संतोष 
#Morning
हिंदी कविता : अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
लेखक : संतोष राठौर रजिस्टर क्रमांक 32895
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद मे तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 

आॅखो मे चुभते हैं काटो से, पल जो साथ सवारे थे
याद होगे तुम्हे भी वो लम्हे, जो मिलकर साथ गुजारे थे
मेरे दिल के आगन मे, अब गम के अंगारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 

कैसे तोड दू वो कसम, जो तुमने दिलाई थी
पेड पर दिल बनाकर, जो तुमने खिलाई थी
जख्म बन गये हैं वो पल जो सवारे है
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद मे तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 

जला आशिया मेरा, तूने अपनी महफिल सजाई हैं 
मेरी दुनिया उजाड के, तूने अपनी दुनिया बसाई हैं 
तू भूल गई, प्यार मे तेरे मैने , अपने दोनो जहा वारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
जुदाई मे तेरी अब, हम इनके सहारे हैं 
याद तेरी हमने, दिन तन्हा गुजारे हैं 
अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं 
-संतोष

©Mission for Passion to change to INDIA अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं ...
- संतोष 
#Morning

अखियो से बहते, अश्को के धारे हैं ... - संतोष #Morning