दर्द सीने में छुपाए रक्खा । हमने माहौल बनाए रक्खा । मौत आई थी कई दिन पहले, उसको बातों में लगाए रक्खा । दश्त में आई बला टलने तक शोर चिड़ियों ने मचाए रक्खा । वरना तारों को शिकायत होती, हमने हर ज़ख़्म छुपाए रक्खा । काम दुश्वार था फिर भी हार्दिक, ख़ुद को आसान बनाए रक्खा ।