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कहानी भाग १ बीच मार्च में मौसम गर्म होने लगता है औ

कहानी भाग १
बीच मार्च में मौसम गर्म होने लगता है और यह तो दिल्ली का मौसम था छोटे कपड़ों में लड़की को देखकर अक्सर
कहा जाता है ठंडी हवाएं चल रहीं हैं.. हमेसा की तरह आज भी वह आएगी, 2 सिगरेट लिए चाणक्य के नीचे इंतजार
करने लगा,9:25 हो गए सोचा फोन कर लेता हूं.. मैने अंगेजी में हैलो कहा! वो.. हां जी.. बार-बार पूंछा गया सवाल ही था
मेरे पास ,कहां हो? "traffic  में" सुनने की उम्मीद करने लगा ! वह ,घर पर ! सुनकर मेरा उत्साह निराशा में बदल गया.. 
इससे पहले उसको एहसास होता मोबाइल पर कॉल duration 17 sec दिखाने लगा ! अब देश की न्याय पालिका पर संकट को पढ़ना आगे खिसका दिया और किसी के पूंछने पर दिमाग़ खराब है बोलना तय कर लिया! Excuse देने
के लिए  फोन तो आया नही, तो सोना बेहतर समझा! अगले दिन  तमाम औपचारिकताओं के बाद बाय बोलकर वो कार मे
बैठ गई ,हम दोनो के बीच सड़क भर की दूरी थी.. ऐसा मुझे लगता था! सड़क पार कर कार मे मैं भी पहुंच गया तो
दूरी का ठीक - ठीक अंदाजा हुआ! क्या हुआ का जवाब कुछ नहीं मिलता था तो मैने पूंछना ठीक नही समझा.. मै खामोश रहकर
पूरी बात कह देना चाहता था! उसका बीच-बीच मे FM के चैनल का बदलना मुझे मेहसूस करा रहा था वह खामोशी
नहीं समझ पाती.. मैंने एक लंबी साँस भरी.. और उसे एक टक देखते हुए कहा..! तुम्हें अजनबी की तरह बातें करता देखकर उसी तरह परेशान हो जाता हूं जैसे DTC बस Aiims
से धौला कुआं नही जा रही है!
Continue....

©ekrajhu कहानी भाग 1
दोस्तों अब अपनी लिखीं कुछ लघु कहानियां 
आपके सामने प्रस्तुत करूंगा.. 
आप सब की प्रतिक्रियाएं बहुत मूल्यवान हैं.. 🙏
#delhi 
#story 
#hindi_story 
#sort
कहानी भाग १
बीच मार्च में मौसम गर्म होने लगता है और यह तो दिल्ली का मौसम था छोटे कपड़ों में लड़की को देखकर अक्सर
कहा जाता है ठंडी हवाएं चल रहीं हैं.. हमेसा की तरह आज भी वह आएगी, 2 सिगरेट लिए चाणक्य के नीचे इंतजार
करने लगा,9:25 हो गए सोचा फोन कर लेता हूं.. मैने अंगेजी में हैलो कहा! वो.. हां जी.. बार-बार पूंछा गया सवाल ही था
मेरे पास ,कहां हो? "traffic  में" सुनने की उम्मीद करने लगा ! वह ,घर पर ! सुनकर मेरा उत्साह निराशा में बदल गया.. 
इससे पहले उसको एहसास होता मोबाइल पर कॉल duration 17 sec दिखाने लगा ! अब देश की न्याय पालिका पर संकट को पढ़ना आगे खिसका दिया और किसी के पूंछने पर दिमाग़ खराब है बोलना तय कर लिया! Excuse देने
के लिए  फोन तो आया नही, तो सोना बेहतर समझा! अगले दिन  तमाम औपचारिकताओं के बाद बाय बोलकर वो कार मे
बैठ गई ,हम दोनो के बीच सड़क भर की दूरी थी.. ऐसा मुझे लगता था! सड़क पार कर कार मे मैं भी पहुंच गया तो
दूरी का ठीक - ठीक अंदाजा हुआ! क्या हुआ का जवाब कुछ नहीं मिलता था तो मैने पूंछना ठीक नही समझा.. मै खामोश रहकर
पूरी बात कह देना चाहता था! उसका बीच-बीच मे FM के चैनल का बदलना मुझे मेहसूस करा रहा था वह खामोशी
नहीं समझ पाती.. मैंने एक लंबी साँस भरी.. और उसे एक टक देखते हुए कहा..! तुम्हें अजनबी की तरह बातें करता देखकर उसी तरह परेशान हो जाता हूं जैसे DTC बस Aiims
से धौला कुआं नही जा रही है!
Continue....

©ekrajhu कहानी भाग 1
दोस्तों अब अपनी लिखीं कुछ लघु कहानियां 
आपके सामने प्रस्तुत करूंगा.. 
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ekrajhu2337

ekrajhu

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