Unsplash उम्मीदों की बस्ती में नाउम्मीद चेहरे हैं, सड़कों पे दफ्न होते सपने सुनहरे हैं। सुने तो सुने कौन सदा-ए-विरानियां, कुर्सी पे काबिज़ तमाम साहिबान बहरे हैं। परत दर परत तमाम राज़ खुलते गए, पर्दानशिनों पे जालिमों के पहरे हैं। आईना भी आजकल है धुंध की आगोश में, झूठ का लबादा ओढ़े छुपे हुए चेहरे हैं। बनावट के फूलों से खुशबू आती नहीं? माली के दामन पे दाग बड़े गहरे हैं। तुफां के ज़ोर से किश्ती नहीं बच पाएगी? साहिल से यही पूछ रही लहरें हैं। ©Shweta #snow शायरी मोटिवेशनल 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स' मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी मोटिवेशनल कोट्स success मोटिवेशनल कोट्स