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जिया बचपन तुम्ही में, ढूंढी अपनी गुजरी बातों को। ख

जिया बचपन तुम्ही में, ढूंढी अपनी गुजरी बातों को।
खुशी के पल सभी और अपनी तंग रातों को।

मेरे भाई! तुम्ही , मेरे हृदय के तार तुम्ही हो।
बहे जो नब्ज में, सांसों में, मेरे प्राण तुम्ही हो।


मैं हर बार लज्जित हूँ तुम्हे झूठा बता कर के,
तुम्हारे प्यार को,सत्कार को, नीचा बता कर के,
तुम्ही से मैं! बड़ा, तुमसे ही है मेरी! बड़ाई भी,
है तुमसे प्यार जितना, है तुम्ही से उतनी लड़ाई भी,
मेरे भाई मेरे लाला मेरे उपहार तुम्ही हो।
बहे जो नब्ज में, सांसों में, मेरे प्राण तुम्ही हो।

©Sanjeev Santosh Upadhyay #Bhaibahankapyar #Love #sister #Brother #Poetry #Family #Life #Dil 

#RakshaBandhan2021  Author shivam kumar mishra Ombhakat Mohan( kalam mewad ki) Sachin Joshi pratima mishra
जिया बचपन तुम्ही में, ढूंढी अपनी गुजरी बातों को।
खुशी के पल सभी और अपनी तंग रातों को।

मेरे भाई! तुम्ही , मेरे हृदय के तार तुम्ही हो।
बहे जो नब्ज में, सांसों में, मेरे प्राण तुम्ही हो।


मैं हर बार लज्जित हूँ तुम्हे झूठा बता कर के,
तुम्हारे प्यार को,सत्कार को, नीचा बता कर के,
तुम्ही से मैं! बड़ा, तुमसे ही है मेरी! बड़ाई भी,
है तुमसे प्यार जितना, है तुम्ही से उतनी लड़ाई भी,
मेरे भाई मेरे लाला मेरे उपहार तुम्ही हो।
बहे जो नब्ज में, सांसों में, मेरे प्राण तुम्ही हो।

©Sanjeev Santosh Upadhyay #Bhaibahankapyar #Love #sister #Brother #Poetry #Family #Life #Dil 

#RakshaBandhan2021  Author shivam kumar mishra Ombhakat Mohan( kalam mewad ki) Sachin Joshi pratima mishra

#Bhaibahankapyar #Love #sister #Brother #Poetry #Family #Life #Dil #RakshaBandhan2021 Author shivam kumar mishra Ombhakat Mohan( kalam mewad ki) Sachin Joshi pratima mishra #कविता