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क्या हुआ जो अपने स्वेद कणों से इन नगरों को सींचा ह

क्या हुआ जो अपने स्वेद कणों से इन नगरों को सींचा है
विपदा की इस कठिन दौर में शहरों ने हाथ ही खींचा है।

पलक पांवड़े गांव विछाता अपने पुत्रों की दुविधा में,
मक्कारी है शहर दिखाता राजनीति की स्पर्धा में।

धरती पुत्रों की मेहनत ही शहरों का मुख चमकाती है,
पर हर मुश्किल में याद उन्हें अपनी मिट्टी ही आती है।

अब जबकि तुम देख रहे हो निष्ठुर तिकड़म सिस्टम के,
पग के छाले अम्मा के और सूखे चेहरे बच्चों के।

आज जो तुमको भेज रहे हैं षड़यंत्रों के साए में,
कल फिर तुम्हें बुलाएंगे मीठे शब्दों के छलावे में।

भूल न जाना तिरस्कार की गहरी निर्मम खाई को,
सहला लेना अपनी मिट्टी अपनी सहन और अमराई को।

कर्मवीर हो कर्म करोगे जहां भी अपनी मस्ती में,
बना ही लोगे खुशहाल नज़ारा अपने गांव और बस्ती में। #मजदूरों की व्यथा
#coronalockdown 
#yqdidi 
#yqhindi 
#jayakikalamse
क्या हुआ जो अपने स्वेद कणों से इन नगरों को सींचा है
विपदा की इस कठिन दौर में शहरों ने हाथ ही खींचा है।

पलक पांवड़े गांव विछाता अपने पुत्रों की दुविधा में,
मक्कारी है शहर दिखाता राजनीति की स्पर्धा में।

धरती पुत्रों की मेहनत ही शहरों का मुख चमकाती है,
पर हर मुश्किल में याद उन्हें अपनी मिट्टी ही आती है।

अब जबकि तुम देख रहे हो निष्ठुर तिकड़म सिस्टम के,
पग के छाले अम्मा के और सूखे चेहरे बच्चों के।

आज जो तुमको भेज रहे हैं षड़यंत्रों के साए में,
कल फिर तुम्हें बुलाएंगे मीठे शब्दों के छलावे में।

भूल न जाना तिरस्कार की गहरी निर्मम खाई को,
सहला लेना अपनी मिट्टी अपनी सहन और अमराई को।

कर्मवीर हो कर्म करोगे जहां भी अपनी मस्ती में,
बना ही लोगे खुशहाल नज़ारा अपने गांव और बस्ती में। #मजदूरों की व्यथा
#coronalockdown 
#yqdidi 
#yqhindi 
#jayakikalamse