33 उपमाता के उक्त प्रवदन उपरांत उदयन भया हर्षित, परंतु अनुदृष्टि कर चित्रफलक, पद्मावती भयी विचलित। सौम्यता से बोली,चित्रस्थ गुरूजनों को करती प्रणाम, स्वगतः चित्रांकित आर्या स्वरूप सदृश आवंतिका भाम। प्रकट बोली आर्य! ऐसी हीं थी प्रतिपूज्य आर्या वासवदत्ता? देवी ऐसी नहीं यही, हाय! कैसा कष्ट दिया विधाता! ©RAVINANDAN Tiwari #स्वप्नवासवदत्ता #कविता #Nojotohindi #nojotolive #nojotonewshindi #nojotowriters #NojotoWriter #NojotoFilms