कुछ यादों के साए बड़े उजले-उजले थे क्या खूब चाहतों के हसीं वो सिलसिले थे हां याद है मुझे वो दिन जुदाई का अबतक थी आखिरी मुलाकात और वो गले मिले थे M.k.rawat...