गौतम बुद्ध को 30 साल की अवस्था में ज्ञान प्राप्त हुआ था यानी की उन्होंने इससे पहले ही संन्यास में आने का सोचा होगा लेकिन आजकल लोग ये कहते है की सन्यास तो बुढ़ापे के बाद करना चाहिए तो बुढ़ापे के बाद आप संन्यास के लायक भी रहोगे । क्या आप के अंदर इतनी एनर्जी बचेगी की आप घंटो एक जगह बैठ सको नही बैठ पाओगे शरीर में दर्द शुरू हो जाएगा और छोड़ दोगे । सन्यास की अवस्था तो वास्तव में युवावस्था ही होती है जहां आप उत्साह और ऊर्जा से भरे होते हो एक और myth लोगो के बीच ये भी है की सन्यास का मतलब है सब कुछ छोड़ छाड़ के कही दूर चले जाना । ऐसा नहीं है सन्यास में आने का केवल इतना ही मतलब है की आप उस प्रक्रिया से होकर जाओ जिससे आपको खुद का बोध प्राप्त हो । आप कहा हो , इस शरीर में या आप ये शरीर ही हो या इससे भी कुछ बढ़कर... ©Himanchal Gupta #spirituality