जो इधर जैसे थे वो उधर हो गए जो उधर थे वो इधर हो गए, दीवारें बनाने वाले हर और से घिर कर घर हो गए।। रात के इंतज़ार में जो दिन को खपा चुके हैं, जब ख्वाब देखने का वक़्त हुआ वो खुद ही अब्र हो गए।। बड़ा हुआ सफर , बहुत रस्ते टटोल डाले, हमने मंजिल से मुहबत क्या की तो हम बेसब्र हो गए, अब सोच में है कहाँ जाए, किद्दर जाएं, जो रस्ता बताते थे खुद ही सफर हो गए।। #bharat #bebetter #dontpakistanize #noCAB