फिराक सबको है यहां कुछ कर जाने की, किसी को जताने की तो किसी को पाने की.. आलम बयां करता है खुद अपने जमाने की, लाख बुरा करता रहूं पर सहमति हो आजमाने की.. बेशक न पाया मैंनें रूतबा और सौहरत अभी, गर हिम्मत न रखता हूं किसी हमउम्र को दबाने की.. शहर चुप है लाचार देखकर भी मुझे , पर लालसा मुझमें भी है कुछ अलग कर जाने की.. क्योंकि फिराक सबको है यहां कुछ कर जाने की.. ज्यादा कुछ नहीं हूं मैं बस थोड़े से वक्त का वक्त हूं।। #yqbaba #yqdidi #poetry #poem #igwritersclub #inspirationalquotes #dixitg