आया है बेरंग फिजा का रंग वफा की शाखों पर उड़ते धुल गवाहीं हैं कुचले हुए इन राहों पर हर गाँव सजाया करते जो लोग अदा के रंगो से आज तो अब्र का पहरा है ईश्क मे होते दंगो पर ईक नयी हवा, अब अपने घर मे,पश्चिम से देखो आयी है कपड़े हैं,इसने छुपा दिये,शाख के सुखे अंगो पर इस्बात भी अपना दाव पे है आखीरी चंद दिवारों का मिट्टी की खुश्बू चली गयी तेरे कांच के रंगो पर हिजाब मे भी उसका चेहरा क्या खूब नूरानी लगता था कमर भी अब है डरा हुआ नंगेपन के हमलों पर गायब हुआ अब आब समन्दर चाहत है गुमनाम हुई अब तो प्यार चला करता है नफरत के ईशारों पर राजीव मिश्रा,"र✍ #NojotoQuote Nojoto Help 🤝