भरे नहीं ज़ख्म मेरे ये खुदा क्यों बार बार इम्तेहान नया बताते हो हो दर्द मुझे भी बहुत होता है हां दर्द मुझे भी बहुत होता है तो क्यों फिर से मेरे नाम का ईश्क ये फरमान सुनते हूं। इस बार नहीं सहूंगा ये जुल्म ज्यादतियां तेरी अब मेरा भी मुकमल इंतकाम होगा अगर फिर टूटा दिल मेरा तो दोस मुझे ना देना तेरा ही नाम लूंगा। हद हो गई बार बार तेरी मेरा इम्तिहान लेने की में भी तो त्यार ही बैठा हूं सुना क्यों ना देता फरमान मेरी जान लेने की । ........✍️ साधु बाबा फरमान