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सरसों फूली पिली पिली , गेहूं की बालियां सपनीली, पे

सरसों फूली पिली पिली ,
गेहूं की बालियां सपनीली,
पेंच दे रही ज़िन्दगी लेकिन ,
उड़ी अपनी पतंग रंगीली । (१)

आओ मिलकर ख़ाब गिनाए,
किसके ज्यादा किसके कम ।
उम्मीदों की डोरी से बंधकर,
उड़े अपनी पतंग हरदम । (२)

हैं ज़िन्दगी गर पथरीली ,
तो पत्थरचट्टा क्यों न उगाये ।
सबकी ख्वाहिश है फूलों की ,
हम तुम काँटो को रिझाये । (३)

है धुंआ अगर ज़िन्दगी तो ,
इसको छल्लों में उड़ाए ।
है ज़िन्दगी अगर पतंग तो ,
सातवे आसमान पर उड़ाए । (४)

जीवन सुखदुख भरी टोकरी ,
अपनी पसंद की खुशियां छाँटे ।
जिस तक न पहुँची है अब तक ,
उस तक त्योहारों के पल बांटे ,
आओ तिलगुड़ लड्ड़ू , गुझिया बांटे  ।। (५)

(आप सब स्नेहीजन को मकर संक्रांति , 
पोंगल , बिहू , लोहड़ी पर्व की हार्दीक 
हार्दीक शुभ कामनाएं ) मकर संक्रांति
#सरसों फूली पिली पिली ,
#गेहूं की #बालियां #सपनीली,
#पेंच दे रही #ज़िन्दगी लेकिन ,
#उड़ी अपनी #पतंग #रंगीली । (१)

आओ मिलकर #ख़ाब गिनाए,
किसके ज्यादा किसके कम ।
सरसों फूली पिली पिली ,
गेहूं की बालियां सपनीली,
पेंच दे रही ज़िन्दगी लेकिन ,
उड़ी अपनी पतंग रंगीली । (१)

आओ मिलकर ख़ाब गिनाए,
किसके ज्यादा किसके कम ।
उम्मीदों की डोरी से बंधकर,
उड़े अपनी पतंग हरदम । (२)

हैं ज़िन्दगी गर पथरीली ,
तो पत्थरचट्टा क्यों न उगाये ।
सबकी ख्वाहिश है फूलों की ,
हम तुम काँटो को रिझाये । (३)

है धुंआ अगर ज़िन्दगी तो ,
इसको छल्लों में उड़ाए ।
है ज़िन्दगी अगर पतंग तो ,
सातवे आसमान पर उड़ाए । (४)

जीवन सुखदुख भरी टोकरी ,
अपनी पसंद की खुशियां छाँटे ।
जिस तक न पहुँची है अब तक ,
उस तक त्योहारों के पल बांटे ,
आओ तिलगुड़ लड्ड़ू , गुझिया बांटे  ।। (५)

(आप सब स्नेहीजन को मकर संक्रांति , 
पोंगल , बिहू , लोहड़ी पर्व की हार्दीक 
हार्दीक शुभ कामनाएं ) मकर संक्रांति
#सरसों फूली पिली पिली ,
#गेहूं की #बालियां #सपनीली,
#पेंच दे रही #ज़िन्दगी लेकिन ,
#उड़ी अपनी #पतंग #रंगीली । (१)

आओ मिलकर #ख़ाब गिनाए,
किसके ज्यादा किसके कम ।