इश्क़ करके हारे हैं, हम क़िस्मत के बहुत मारे हैं। सुकूँ दिल का गवाँ दिया, अब दुआओं के सहारे हैं। आँखों में कोई ख़्वाब नहीं, बस अश्कों के नजारे हैं। ख़्वाहिशों ने दम तोड़ दिया, अब उम्मीद के सहारे हैं। अरमानों की बली चढ़ा दी, मुफ़लिसी में दिन गुज़ारे हैं। कोई भी अपना ना रहा, हम अब तन्हाई के सहारे हैं। क़िस्मत से हमको गिला नहीं, दरिया के दो किनारे हैं। मिल के भी हम मिल ना सके, अब उम्मीद के सहारे हैं। लफ़्ज़ों में बयाँ कर ना सके, इस दिल के जो इशारे हैं। दूरियाँ बढ़ती चली गईं, पर अब भी हम तुम्हारे हैं। ♥️ Challenge-775 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।