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जब-जब कभी मन नाखुश सा होता हैं,  जब चिंताएं घेरती

जब-जब कभी मन नाखुश सा होता हैं, 
जब चिंताएं घेरती मन को भी, 
तो एक नजर प्रकृति को देखो, 
यह हर लेती सारी परेशानी तन की भी। 

मन में बसाओ प्रकृति धन को, 
हर पल देखो अपने हरे मन को, 
प्रकृति शांति है, यह सिंगार भी, 
यह फूल कली और पत्तों में है बँटी। 

इसे संभालो ऐसे ही,
जैसे यह हैं तुम्हारा जीवन कहीं, 
प्रकृति देती हर पल तुम्हारा साथ हैं,
तभी तो हर पल तुम्हारे जीवन में श्वास हैं, 
अंत जीवन में भी यह तुमको शरण देती हैं,

तुम्हारी राख को अपने खाक में मिला लेती हैं।
प्रकृति तुम महान हो, तुम कुदरत का वरदान हो !

©Divyanshi Triguna "Radhika"
  #Flower #NojotoHindi #प्राकृतिकजीवन