तुम्हारे बालों को कभी मैं सहलाता था, कभी अपने मुंह पर रखकर मुंछ बनाता था, सफेद बाल ढूंढता था कभी, की तुम्हे बता सकूं की तुम, हाँ तुम्हे बता सकूं की तुम, मुझसे पहले बूढ़ी होओगी.. ओर तुम ढूंढती थी मेरा सफेद बाल, ओर फिर दोनों को कुछ न मिलता.. तुम्हारे बालों को कभी मैं सहलाता था, इतनी क्या जल्दी थी जाने की, थोड़ा बूढ़ी तो हो जाते, या मुझे कर जाते.. ©शैलेन्द्र यादव #बूढ़ी