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उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी है उलझ गई कितनी रिश्तों

उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी है
उलझ गई कितनी रिश्तों की डोरी है

संभाले किसी एक को तो दूसरा रूठ जाता है
कभी बेटे से कभी पति से रिश्ता बिगड़ जाता है

कौन सही और कौन गलत ऐसे कैसे बताएं वो 
अपने घर की शांति को कैसे आग लगाए वो

औरत की ज़िम्मेदारी निभाना इतना आसान नहीं
फैसला किसी एक के हक में ऐसे कैसे सुनाए वो

सभी की निगाहें है उस पर टिकी करती है सवाल
क्या जवाब दे वो किसी को बन गया खुद सवाल ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_304 

👉 उगले तो अन्धा, खाए तो कोढ़ी लोकोक्ति का अर्थ ---- दुविधा में पड़ना। 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।
उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी है
उलझ गई कितनी रिश्तों की डोरी है

संभाले किसी एक को तो दूसरा रूठ जाता है
कभी बेटे से कभी पति से रिश्ता बिगड़ जाता है

कौन सही और कौन गलत ऐसे कैसे बताएं वो 
अपने घर की शांति को कैसे आग लगाए वो

औरत की ज़िम्मेदारी निभाना इतना आसान नहीं
फैसला किसी एक के हक में ऐसे कैसे सुनाए वो

सभी की निगाहें है उस पर टिकी करती है सवाल
क्या जवाब दे वो किसी को बन गया खुद सवाल ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_304 

👉 उगले तो अन्धा, खाए तो कोढ़ी लोकोक्ति का अर्थ ---- दुविधा में पड़ना। 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।
akankshagupta7952

Vedantika

New Creator

♥️ आइए लिखते हैं मुहावरेवालीरचना_304 👉 उगले तो अन्धा, खाए तो कोढ़ी लोकोक्ति का अर्थ ---- दुविधा में पड़ना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।