#genesis
Introduction
इस कहानी को जब मैं लिख रहा था तो खुद मेरे जेहन मे कई सवालात थे मै उन दंगो के वक़्त वहा उस जगह पर तो नहीं था परन्तु सिर्फ उन दंगो के दृश्यों की कल्पना मात्र से ही मेरा ह्रदय डर और क्रोध से जाँझोड सा गया
कुछ वक़्त बाद वहा कर्फुयु लगा और धीरे धीरे दंगे शांत होगए और शायद 14-15 साल होगए इस वाक्य को पर अब तक कोई फैसला नहीं आया और कुछ लोग जिनके घर उजड़े थे वो घर-बार छोड़ चले गए और कुछ जिनके पास अभी भी वहा रहने के इलावा कोई और चारा नहीं था वो वही उसी शहर मे जैसे तैसे अपना जीवन व्यतीत क्रर रहे है
मेरी कहानी भी कुछ ऐसे किरदारों से भरी जिनके बारे मै जानकर आपको एहसास होगा की जिन्हे लोग दंगो का नाम दे रहे थे वो कुछ और नहीं सिर्फ इक सियासी नंगा नाच था और कुछ भटकी हुई कठपुतलिया अपने कला निर्देशक के निर्देश मै सरेआम कत्लेआम कर रहे थे
मै इस कहानी मै किसी भी विशेष दंगो का उल्लेख नहीं करूँगा क्यूंकि दंगे जो भी हुए सबका मकसद और कारंवा एक ही था #Poetry