एक रात हूई कूछ अजिब सी बात हुई । सांसो ने भी हमसे मुह मोड लिया। जो धडकन थी वो कुछ खामोश थी। अब अंधेरे भी फुकार ने लगे। खामोश आंखो मे कुछ अपने दिखने लगे । समय बित रहा देर हो रही । ईस जमाने को हमारी फिक्र नही । कुछ जलाने की बात कर रहे कुछ दफनाने की बात कर रहे। कुछ अपने थे जो हमारी चीजो का बटवारा कर रहे थे। कुछ मजहबी थे जो हमारा बटवारा कर रहे थे। ईन दोनो के बिच मैने जिदंगी मे अपने क्या पाया क्या खोया था जिते जि किसी धर्म को मैने नहीं माना आज मरने के बाद हर किसी ने मुजे अपनाया था -----Tohid Mulla #we #all #indian