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सोचता हूँ क्या लिख दूँ । ख़ुद को शराबी, तो ज़िन्दगी

सोचता हूँ क्या लिख दूँ । 
ख़ुद को शराबी, तो ज़िन्दगी को नशा लिख दूँ । 
क्या लिख दूँ । 
आसमा है ऊपर बहुँत , इंसानी पहुँच से ,
ज़रा पास आये तो उस पर निशा लिख दूँ । 
क्या लिख दूँ । 
असलियत और ख़याली अंतर है बहुत दुनिया में 
ख़ुदा मिले तो उसे बेवफा लिख दूँ । 
खुद को शराबी, तो जिंदगी को नशा लिख दूँ । 
क्या लिख दूँ #kyalikhdu 1
सोचता हूँ क्या लिख दूँ । 
ख़ुद को शराबी, तो ज़िन्दगी को नशा लिख दूँ । 
क्या लिख दूँ । 
आसमा है ऊपर बहुँत , इंसानी पहुँच से ,
ज़रा पास आये तो उस पर निशा लिख दूँ । 
क्या लिख दूँ । 
असलियत और ख़याली अंतर है बहुत दुनिया में 
ख़ुदा मिले तो उसे बेवफा लिख दूँ । 
खुद को शराबी, तो जिंदगी को नशा लिख दूँ । 
क्या लिख दूँ #kyalikhdu 1