मसरूफ हैं वो जाने कहां खुशियों की महफिल में कश्ती प्यार की ,गमों के समुंदर में हमें संभालनी पड़ती है एहसास होता है किश्ती मोहब्बत की भयंकर तूफान में भी मंझदार से साहिल तक लानी पड़ती है बेदम शायर आयुष की कलम से(मेरी एक नज्म का हिस्सा) किश्ती मोहब्बत की