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अश्क भी बहे तो कपड़ा भी बने, जो कपड़ा भी बने तो गी

अश्क भी बहे तो कपड़ा भी बने,
जो कपड़ा भी बने तो गीला ही सही।
बारिश ये जरा सी ओस की हल्की रातों की ठंडक है ।
फूलों पे गिरे और रौशन हल्की सी चांदनी में
जबतक तबतक अगली सुबह का ये दिन ढले,
धूप ज़रा सी सूखी सी है ।
दिन भर याद और सौहार्द हृदय 
कोमल सा नजरबंद ये अफसानों के 
प्रकृति के ये झरोखे और ये शांति के पल ।
आवाजों में शायद शहीदों के शौर्य गुनगुनाए ।
और कुछ संभाल कर रखा जाने को कह जाए ।
क्यों बदगुमानी में ये सूरज आता जाता है ।
चांद भी ज़रा सा शांत और शरमाता है ।
कुछ कुदरत के रंग ही खिले से सुहाने लगते हैं
हमें अब सारे कलम अच्छे लगते हैं
अच्छे लगते हैं...
बस... अच्छे लगते हैं । एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से।
#प्यारपिरोकर  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
अश्क भी बहे तो कपड़ा भी बने,
जो कपड़ा भी बने तो गीला ही सही।
बारिश ये जरा सी ओस की हल्की रातों की ठंडक है ।
फूलों पे गिरे और रौशन हल्की सी चांदनी में
जबतक तबतक अगली सुबह का ये दिन ढले,
धूप ज़रा सी सूखी सी है ।
दिन भर याद और सौहार्द हृदय 
कोमल सा नजरबंद ये अफसानों के 
प्रकृति के ये झरोखे और ये शांति के पल ।
आवाजों में शायद शहीदों के शौर्य गुनगुनाए ।
और कुछ संभाल कर रखा जाने को कह जाए ।
क्यों बदगुमानी में ये सूरज आता जाता है ।
चांद भी ज़रा सा शांत और शरमाता है ।
कुछ कुदरत के रंग ही खिले से सुहाने लगते हैं
हमें अब सारे कलम अच्छे लगते हैं
अच्छे लगते हैं...
बस... अच्छे लगते हैं । एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से।
#प्यारपिरोकर  #YourQuoteAndMine
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madhav1592369316404

Madhav Jha

New Creator