अश्क भी बहे तो कपड़ा भी बने, जो कपड़ा भी बने तो गीला ही सही। बारिश ये जरा सी ओस की हल्की रातों की ठंडक है । फूलों पे गिरे और रौशन हल्की सी चांदनी में जबतक तबतक अगली सुबह का ये दिन ढले, धूप ज़रा सी सूखी सी है । दिन भर याद और सौहार्द हृदय कोमल सा नजरबंद ये अफसानों के प्रकृति के ये झरोखे और ये शांति के पल । आवाजों में शायद शहीदों के शौर्य गुनगुनाए । और कुछ संभाल कर रखा जाने को कह जाए । क्यों बदगुमानी में ये सूरज आता जाता है । चांद भी ज़रा सा शांत और शरमाता है । कुछ कुदरत के रंग ही खिले से सुहाने लगते हैं हमें अब सारे कलम अच्छे लगते हैं अच्छे लगते हैं... बस... अच्छे लगते हैं । एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से। #प्यारपिरोकर #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi